डॉ. चेतन आनंद-
दुनिया भर में वायु प्रदूषण अब केवल पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह सीधे लोगों की सेहत, अर्थव्यवस्था और जीवन प्रत्याशा को प्रभावित करने वाला बड़ा वैश्विक संकट बन चुका है। अनेक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टें बताती हैं कि एशिया, विशेषकर दक्षिण एशिया, इस समय प्रदूषण के सबसे गंभीर प्रभाव झेल रहा है। इसी पृष्ठभूमि में जब हम “दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों” की सूची पर नज़र डालते हैं, तो भारत की स्थिति बेहद चिंताजनक दिखाई देती है। हाल के वर्षों में भारत के कई शहर लगातार दुनिया की शीर्ष 10 या शीर्ष 20 प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल होते रहे हैं। यह स्थिति न सिर्फ पर्यावरणीय चुनौती का संकेत है, बल्कि यह जन स्वास्थ्य के लिए आज की सबसे बड़ी चेतावनी भी है।वैश्विक रिपोर्टें और भारत-अंतरराष्ट्रीय संगठनों, जैसे आईक्यू एयर की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट, डब्ल्यूएचओ की वायु गुणवत्ता सूचियाँ और कई देश-आधारित शोध, लगातार इस तथ्य को रेखांकित करते हैं कि दुनिया के अत्यधिक प्रदूषित शहर एशिया में केंद्रित हैं। इनमें सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन बताए जाते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों के आँकड़े यह भी स्पष्ट करते हैं कि भारत के शहरों ने इस सूची में सबसे ज्यादा स्थानों पर कब्ज़ा किया है। ताज़ा उपलब्ध रिपोर्ट (2024) में यह एक महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत के हैं। यह आँकड़ा अपने आपमें यह दर्शाता है कि वायु प्रदूषण का संकट अब भारत के लिए एक व्यापक भौगोलिक समस्या है, न कि केवल कुछ महानगरों तक सीमित। वैश्विक सूची में शामिल भारतीय शहरों में बड़े महानगरों के साथ-साथ कई मध्यम और छोटे शहर भी शामिल हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि प्रदूषण का दायरा तेजी से फैल रहा है और यह देश के कई हिस्सों को प्रभावित कर रहा है। कई रिपोर्टों में गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, मुजफ्फरनगर, बेगूसराय और अन्य उत्तर भारतीय शहरों को उच्चतम प्रदूषण स्तर वाले शहरों में रखा गया है।
शीर्ष 10 शहरों में भारत की छवि-जब केवल शीर्ष 10 की बात की जाती है, तो स्थिति और गंभीर दिखाई देती है। 2024 की रिपोर्टों ने एक बार फिर दिखाया कि इनमें से कई शहर भारत के थे। दिल्ली, जो भारत की राजधानी है, दुनिया की “सबसे प्रदूषित राजधानी” के रूप में कई बार रैंक की गई है। कई वर्षों में पीएम 2.5 का औसत स्तर दिल्ली को दुनिया के शीर्ष 10 प्रदूषित शहरों की श्रेणी में बनाए रखने के लिए पर्याप्त रहा है। हालांकि कुछ वर्षों में रीयल-टाइम एक्यूआई या कुछ विशिष्ट मौसमीय परिस्थितियों के कारण अन्य शहर इसमें ऊपर या नीचे आते हैं, लेकिन समग्र स्थिति यही बताती है कि भारत के कई शहर अक्सर इस शीर्ष वर्ग में बने रहते हैं। ये केवल उत्तर भारत तक सीमित नहीं, बल्कि मध्य और पूर्वी भारत के हिस्सों में भी व्यापक स्तर पर देखे जाने लगे हैं।
क्यों चिंता का विषय है शीर्ष सूची में भारत का होना-विश्व स्वास्थ्य संगठनों के अनुसार, वायु प्रदूषण दुनिया में मृत्यु और बीमारियों का एक प्रमुख कारक बन चुका है। जब कोई शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल होता है, तो इसका अर्थ होता है कि वहाँ पीएम 2.5 जैसे प्रदूषक सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक हैं। लंबे समय में इसका सीधा असर लोगों की सेहत, उत्पादकता, मानसिक स्वास्थ्य और बच्चों के विकास पर पड़ता है। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि यहाँ सिर्फ एक या दो शहर नहीं, बल्कि दर्जनों शहर इस सूची में शामिल हैं। यह स्थिति बताती है कि समस्या स्थानीय नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्तर की है। उदाहरण के लिए एनसीआर में स्थित दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाज़ियाबाद और फरीदाबाद, ये सभी शहर अलग-अलग प्रशासनिक इकाइयाँ हैं, लेकिन सभी में हवा की गुणवत्ता लगभग एक जैसे खराब स्तर पर दर्ज होती है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि हवा का बहाव और वातावरणीय परिस्थितियाँ प्रदूषण को व्यापक क्षेत्र में फैलाती हैं।
भारत की जनसंख्या और भौगोलिक विस्तार का प्रभाव-भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। इतने बड़े जनसमूह का बड़े शहरों में एकत्र होना किसी भी प्रदूषण संबंधित समस्या को और गंभीर बना देता है। जब करोड़ों लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहाँ हवा सुरक्षित सीमा से कई गुना खराब हो, तो यह स्वास्थ्य प्रणाली, आर्थिक उत्पादकता और जीवन प्रत्याशा पर गहरा प्रभाव डालता है। दुनिया के शीर्ष प्रदूषित शहरों में बड़ी संख्या में भारत के शहरों का शामिल होना यह दर्शाता है कि देश को व्यापक स्तर पर वायु प्रदूषण के जोखिमों से जूझना पड़ रहा है। कई अध्ययन कहते हैं कि भारत के बड़े शहरों में रहने वाले लोगों की आयु 5 से 10 वर्ष तक कम हो सकती है, यदि वायु गुणवत्ता में सुधार न किया जाए।
भारत की स्थिति वैश्विक तुलना में कितनी गंभीर-दुनिया में कई विकासशील देशों को प्रदूषण की समस्या है, लेकिन भारत की स्थिति विशिष्ट इसलिए है क्योंकि-
1. भारत सूची में बार-बार और बहुत बड़े पैमाने पर आता है।
2. यहाँ केवल 1-2 नहीं, बल्कि 10, 12, 15 या कभी-कभी उससे भी अधिक शहर शीर्ष सूची में दर्ज होते हैं।
3. प्रदूषण केवल शहरी नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्तर का संकट बन चुका है।
4. दुनिया के अन्य क्षेत्रों की तुलना में भारत के शहरों में पीएम 2.5 स्तर कई महीनों तक अत्यधिक ऊँचा रहता है।
सबसे प्रदूषित देशों की की सूची
1.चाड
2.बांग्लादेश
3.पाकिस्तान
4.डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो
5.भारत
6.ताजिकिस्तान
7.नेपाल
8.बहरीन, कुवैत
साउथ एशिया के भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश पिछले 25 सालों से लगातार विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित देश बने हुए हैं। चीन ने वर्ष 2015-25 में अपने प्रदूषण को आधा कर दिया है। जबकि अफ्रीका के देशों का प्रदूषण आंकड़ों में अब अधिक दिखने लगा है। क्योंकि इनकी मॉनीटरिंग बढ़ी है।
यह स्थिति साफ़ संकेत देती है कि भारत “वैश्विक वायु प्रदूषण संकट” का केंद्र बन चुका है। दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में भारत की स्थिति चिंताजनक और विचारणीय है। शीर्ष 10 और शीर्ष 20 की सूची में भारत के इतने शहरों का होना सूचित करता है कि देश की हवा से जुड़ा संकट केवल स्थानीय पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि जन स्वास्थ्य के लिए व्यापक खतरा बन चुका है। दुनिया के अत्यधिक प्रदूषित शहरों में शामिल होना सिर्फ एक रैंकिंग नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की सांसों पर मंडराता हुआ वास्तविक खतरा है। भारत के लिए यह समय गंभीर आत्मचिंतन और दीर्घकालिक रणनीति की मांग करता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ हवा मिल सके और दुनिया की प्रदूषण सूची में भारत का स्थान किसी अन्य दिशा में बदल सके।
लेखक
डॉ. चेतन आनंद
(कवि-पत्रकार)









